नई दिल्ली। रेल यात्री सेवा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त एक राजनीतिक शख्स का क्या अपनी निजी पसंद-नापंसद के आधार पर किसी किताब की बिक्री रोकने का अधिकार है बिक्री रोकने का अधिकार है? भोपाल रेलवे स्टेशन के निरीक्षण के दौरान पीएससी के अध्यक्ष रमेश चंद्र रत्न ने दिग्गज लेखक खशवंत सिंह की किताब 'वूमेन, सेक्स, लव एंड लस्ट % को अश्लील करार देते हए उसकी बिक्री से तुरंत बाज आने को कहा. उनका कहना था कि ऐसा साहित्य भावी पीढयों को बिगाड़ रहा है. गौरतलब है कि रमेश चंद्र रत्न बीजेपी के नेता होने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में वकील भी रहे हैं. रत्न ने इसके साथ ही स्टेशन के बैंडर से ऐसा अश्लील साहित्य बेचने से बाज आने को कहा. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आगे वह ऐसी किताबें बेंचते हए पकडा गया तो उस पर जर्माना लगाया जाएगा और उचित कार्रवाई की जाएगी. रत्न ने इसके साथ ही गर्भवास्था पर जानकारी देती एक किताब को भी बक शेल्फ से हटाने को कहा. उनका कहना था कि बक स्टोर पर हर तरह के लोग किताबें खरीदने पहुंचतते हैं. ऐसे में भावी पीढयों को बिगाड़ने वाले साहित्य की बिक्री नहीं होनी चाहिए. ताज्जुब की बात यह थी कि जब उन्हें बताया गया कि जिस किताब पर उन्होंने आपत्ति दर्ज की है, वह एक ख्यात लेखक की किताब है, जिन्हें प्रतिष्ठि नागरिक सम्मानों से नवाजा जा चुका है. इसके जवाब में रमेश रत्न ने कहा, %भले ही लेखक कोई भी हो... मैं साफ कर देना चाहता हूं कि कानन के लिहाज से इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है.यह रेलवे का स्टॉल है, जो नियम- कायदों और सिया से ही चलेगा. गौतरलब है कि लगभग दो महीने पहले रत्न ने नई दिल्ली सेशन का निरीक्षण करते हुए चेतन भगत की किताब हाफ गर्लफ्रैंड को भी ऐसे ही आरोपों के चलते बक शेल्फ से हटाने के आदेश दिए थे.