गोरखपुर संतकबीरनगर। जेएनयू में हॉस्टल फीस वृद्धि के खिलाफ चल रहे आंदोलन में पुलिस की पिटाई से घायल छात्र शशिभूषण 'समद' के चाचा और संतकबीरनगर के भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष अनिल पांडेय का दर्द फेसबक के जरिए सामने आया है। उन्होंने अपने भतीजे और जेएनयू स्टूडेंट्स के बारे में सोशल मीडिया में चल रही 'देशद्रोही' और 'गद्दार' जैसी टिप्पणियों पर दुख और गुस्सा जाहिर करते हुए अपनी फेसबक पोस्ट में लिखा कि 'जेएनयू में यदि देशद्रोही हैं तो मैं और मेरा परिवार क्या है।' अनिल पांडेय की इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया में नई बहस छिड़ गई है। उन्होंने कहा कि उनका परिवार जनसंघ के जमाने से भाजपा से जुड़ा हुआ है। परिवार के के कई सदस्य सेना में हैं। जेएनयू सदस्य में भतीजा पढ़ रहा है। वह वहां जैसी टिप्पणियों पर दुख और छात्रसंघ का सदस्य भी है। फीस वृद्धि को लेकर चल रहे आंदोलन में उसकी क्या भूमिका है वह नहीं जानते लेकिन संसद मार्च के दिन हुए लाठीचार्ज की घटना के बाद से परिवार परेशान था। रात में आठ बजे के आसपास फेसबुक पर अपलोड एक तस्वीर में वह घायलावस्था में एम्स में इलाज कराता हुआ दिखा। इस फोटो को देखने के बाद परिवार में सन्नाटा छा गया। शशिभूषण समद का मोबाइल स्विच ऑफ , आ रहा था। काफी कोशिशों के किताब को अश्लील करार किसान मोर्चा बाद रात 11 बजे के आसपास एक डॉक्टर के जरिए उसे एम्स ले जाने वाले साथी से बात हुई। रात एक बजे समद से बात हो पाई। तब जाकर परिवार को थोड़ी तसल्ली हुई। अनिल पांडेय ने बताया कि घटना के बाद से समद से उनकी फोन पर ही बात हो पा रही है। समद ने ही परिवार के लोगों को दिल्ली आने से यह कहते हुए मना कर दिया कि किसी को परिसर में जाने नहीं दिया जा रहा है। दिल्ली में रहने वाले कुछ परिचितों को वहां भेजा गया लेकिन वे भी समद से नहीं मिल पाए। अनिल पांडेय ने यन बताया कि समद की आंखों की रोशनी दो-तीन साल की उम्र में ही चली गई थी। समद ने गोरखपुर के लालडिग्गी अंध विद्यालय से कक्षा आठ, वाराणसी के हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय से हाईस्कूल-इंटरमीडिएट और बीएचयू से बीए की पढ़ाई का। हर क्लास में उनकी रेक आती रही। इसके बाद वह आईएएस का तयारा क लिए दिल्ला चल गए। बाद में एमए इतिहास में जेएनय में दाखिला ले लिया। ।। समद के पिता का देहान्त 2007 में हो गया था।